गुजर रहे थे उसकी गली से,नजरों का निशाना वही पुराना था, जा रूकी थी निगाहें झरोखे पर,इसे वही गलफत दुहराना था। जो मयस्सर ना थी,उसे हर शाम देता रह गया, जहाँ खिलते थे फरामोश के गुलाब,उसे अपना नाम देता रह गया _Xn.niku #xnniku#sad#shayari#nojoto# awarakalam#