तेरा-मेरा मेल न सही, जज्बात और लफ़्जों का खेल ही सही... तेरे-मेरे दिल के तार भी एक न सही, मेरे अल्फ़ाजों में तेरा जिक्र है तो सही... प्यार एक तरफा ही सही, किश्मत में तेरा साथ हो न हो, तो भी कोई गम नहीं... तुझसे अपने दिल के जज्बात, जो अब भी न बता सके, तो फ़िर चैन कहीं नहीं... आज कहती हूं, वो बात, जो तुम सुन न सके उस वक़्त, वो आज पढ़ना ही सही, जो कह रही हूं, जुबां से न सही, कागज में उतरे इन लफ़्जों से ही सही...!!! 🖋 #188thquote