ये आँखों का नशा , किराए पर लिया है। अपने ही शौक ने, बर्बाद कर दिया है। हँसी मजबूरियां हैं, रोना छुप कर हुआ है। ख्वाइशें दफ़न हो गयी, ख्वाब तन्हा कर गया है। आसमा से बड़ा दिल , बादलों से ढक गया है। चाँद की ढूंढ़ में दिल, आधी राह तक गया है। सावन आके पूछता रहा दर्द का आँसू किधर गया है। होंठ अब कुछ नहीँ बोलते, मन किसी दरिया ,ठहर गया है। जो अपना कभी था ही नहीँ, उसे सब कुछ समझ लिया है किसी से है नहीं शिकवा हमें, मगर हमने ये गलत किया है। ये आँखों का नशा, किराए पर लिया है। #abhidev ©Abhidev Arvind Semwal ये आँखों का नशा , किराए पर लिया है। अपने ही शौक ने, बर्बाद कर दिया है। हँसी मजबूरियां हैं, रोना छुप कर हुआ है। ख्वाइशें दफ़न हो गयी,