Nojoto: Largest Storytelling Platform

कभी मज़हब, कभी जाति, तो कभी इज्जत से लहूलुहान रही,

कभी मज़हब, कभी जाति, तो कभी इज्जत से लहूलुहान रही,

पीढ़ी दर पीढ़ी ए इश्क... तेरी यही एक दास्तान रही ..!!
कभी मज़हब, कभी जाति, तो कभी इज्जत से लहूलुहान रही,

पीढ़ी दर पीढ़ी ए इश्क... तेरी यही एक दास्तान रही ..!!
farmanmehdi7305

Farman Mehdi

New Creator