गाँधी जी के बन्दर से ही तू कुछ सीख ले ऐ इंसान! याद रख इस बात को कि तू है नहीं कोई भगवान। मूर्खता भरे कानूनों से पहुँचाया जाता है इन्हें आघात, डरती हूँ कहीं छोड़ न दें किसान-जवान हमारा साथ। राजनीति न गर्म करके, अपने खून में तुम उबाल लाओ, देश की हो तरक्की, इसके ख़ातिर कोई उपाय बताओ। जय जवान जय किसान! था नारा दिया शास्त्री जी ने, करो या मरो! का ऐलान किया हमारे पूज्य बापू जी ने। प्रतियोगिता का अंतिम चरण। (२ अक्टूबर प्रतियोगिता) विषय - दो लेखकों को मिलकर पूरा करना है। 🔹पंक्ति बाध्यता नहीं है, लेकिन पृष्ठभूमि पर ही लिखेंगे। समय सीमा 2.00 AM 3rd October 2020 (तीनों चरण के लिए।)