सुन ले ए पाकिस्तान सुन ले, के हिंद का एलान सुन ले। अमन का परिंदा अब ना उड़ेगा यहां से, कान खोल के ये फरमान सुन ले। बहुत हो गई सौदेबाजी, बाज फिर भी तू आया ना। तेरी बर्बादी का तू कारण होगा, गर अपनी हरकतों को लगाम लगाया ना। गलती हुई थी नेहरू से, जिसे शास्त्री जी ने दोहराया था, पर तू भूल गया इंदिरा अटल ने जो तेरा सलूक बनाया था। हाथों में तू छुरा लेकर, मुंह से अमन की बात करता है, तेरी इन चालबाजियों के अब हिंद ना पास लगता है। वक्त अभी भी है सुधर जा वरना फिर तू पछताएगा, 71 में तो बंगाल गया था, अबके बलूच, सिंध साथ फाटा भी गंवाएगा। समझा दे अपने गुर्गों को, ये जितने भी हाफिज सैयद है, जितने की तेरी नफरी है, उससे ज्यादा यहां जेलों में कैद है। गर एक बार भी कर दिया हमने ऐलान-ए-सजा-माफ, फौज के बिना ही कर देंगे पूरा पाकिस्तान साफ। और जो हर बार तू अपनी आतिशबाजी का खौफ दिखाता है, उससे ज्यादा बारूद यहां दिवाली पर फूंका जाता है। ये जितनी तेरी मिसाइल है, सब चाइना का माल है, जिसके सर पर तू कूद रहा, वही तेरा काल है। अब भी वक्त है सुधर जा वरना फिर पछताएगा, दर दर तू सहारा मांगेगा, कोई ना हाथ बढ़ाएगा। दर दर तू सहारा मांगेगा, कोई ना हाथ बढ़ाएगा। सुन ले ए पाकिस्तान सुन ले, के हिंद का एलान सुन ले। #वीर_रस की एक #कविता #पाकिस्तान की नापाक हरकतों का जवाब देते हुए। #भारत #hind #india #pakistan #hindipoetry