|| नदी और सद्पुरूष || नदियों में प्रवाहित जल निश्छल होते हैं ..... सज्जन पुरुष जैसे पारदर्शिता का स्वरूप ! और होते हैं दोनों निरंतर चलायवान ..... • पढ़े अनुशीर्षक में • बुराई को अलग रखकर सज्जन पुरुष नदियों का पानी ...... कंकड़ को नीचे दबाकर ! प्रवाहित होते हैं दोनों हृदय से : साफ और निर्मल ! असमानता स्वरूप धरा में भी ये जल सज्जन पुरुष भांति