#OpenPoetry कुछ उलझा से कुछ सुलझा सा रहता हूं । मैं भी तेरे जैसा हूं करता हूं तुझसे शिकायत ख़ुद में खोया रहता हूं अब क्या होगा तेरा ख्याल करता हूं कुछ खट्टी कुछ मीठी यादें रोज़ पिरोता हूं सोचता हूं खुदा अब कुछ करम कर मुझपर कुछ उलझा सा कुछ सुलझा सा रहता हूं #OpenPoetry #kuchhuljha #kuchh #suljha #gazal #poetry