मेरा अकेला ख़ुदा याद आ रहा है मुझे यें सोचता हूं कि गिरजा बुला रहा है मुझे !! मुझें ख़बर है कि मैं इक मुट्ठी धुल हूँ फिर भी तू क्या समझी की हवा उड़ा रहा है मुझे !! यें कैसा जादू है क्यूँ रात भर सिसकता हूँ वो कौन है जो दियों में जला रहा है मुझे !! उसी का ध्यान है और प्यास बढ़ती जाती है वो इक शराब के सहरा बना रहा है मुझे !! मैं आँसुओं में नहाया हुआ खड़ा हूँ अभी जनम-जनम का अँधेरा बुला रहा है मुझे ।। #मेरे_अल्फ़ाज़