अनुमन्ता विशसिता निहन्ता क्रयविक्रयी | संस्कर्ता चोपहर्ता च खादकश्चेति घातकाः || - मनुस्मृति ५.५१ भावार्थ - पशु वध करने की आज्ञा प्रदान करने वाला , उसके खण्ड खण्ड करने वाला, वध करने वाला ,क्रय-विक्रय करने वाला, मांस को पकाने वाला, परोसने तथा उसे भक्षण करने वाला -ये आठ प्रकार के लोग घातक कहे जाते हैं। #मनुस्मृति माँस का परित्याग अनिवार्य रूप से करें।