अंधेरों की आदत पड़ जाए तो आदमी उजालों का मोहताज़ नहीं रहता है। फिर भी उजाला, उजाला ही है। उजाला एक जरूरत है।मुझे उजाला तनिक भी पसंद नहीं है। क्योंकि कभी-कभी उजाला सपने भी छीन लेता है। इसलिए मुझेउजालों से नफ़रत है। मुझे उजालों से नफ़रत है और अंधेरों से प्यार है। जानते हैं क्यों?क्योंकि उजालों की दी हुई बदनामी, अक्सर अंधेराअपनी गोद में छिपा लेता है।इसलिए मुझे अंधेरों से बेपनाह मोहब्बत सी हो गई है।
#RJ_bittu