हो रहा जीवन का हर क्षण उथल पुथल कभी चढ़ा शिखर, घूमूँ अंबर और थल फिर भी रहा मौन, बिल्कुल विभोर देखु सब ओर, कैसे मिटे ये अंधक घोर अब ये जीवित पल मुझसे कहते जो सहा तुमने, कुछ रोज सहतें न हो हताश, न हो निराश परिवर्तन ही असली विकास... ©Poetic Prashant परिवर्तन #Poetry #hindi_poetry #poetryislife #poetryislove #poeticprashant #keepfollowme #KEEPSMEGOING