किस्मत की रेखा को तो देखा है सबने, मग़र पढ़ न पाए कोई इसकी लिखावटे! उलझा हुआ है सबकी हथेलियों पर, जैसे उलझी है ज़िंदगी, कठिन पहेलियों जैसे! 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता :- 145 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 4 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।