गर कहीं प्रेम की प्रकाष्ठा है, हृदय के स्पंदन में बहती वो आस्था है, जहां बिन कुछ चुकाए प्रेम उपहार मिलता है, जब ख़ुदा से पहले जिसका नाम होठों पर आता है,वो मातृ स्वरूप है, जिसका अस्तित्व "ईश्वरीय तत्व, के अनुरूप है,,, "कृपया पूरा कैप्शन में पढ़ें "भूण हत्या और अनाथालय में बच्चों की दुर्दशा बताई गई है,,, विश्व की सभी माताओं को #राष्ट्रीयसुरक्षितमातृत्वदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। "गर कहीं प्रेम की प्रकाष्ठा है, हृदय के स्पंदन में बहती वो आस्था है, जहां बिन कुछ चुकाए प्रेम उपहार मिलता है, जब ख़ुदा से पहले जिसका नाम होठों पर आता है,वो मातृ स्वरूप है, जिसका अस्तित्व "ईश्वरीय तत्व, के अनुरूप है,