चंद्रघंटा (तृतीय दिवस) पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।। औगढ रूप देख जब शिव का, अचेत हुई शैल-रानी थी धर वेश चन्द्र घंटा का माँ, निज माँ को देवि रिझानी थी। चंद्र-घंटा अम्बे मात का, तृतीय शक्ति रूप कहलाता पवित्र आराधना दिव्य यह, अलौकिक वस्तु की है दाता। हेम घंटा कार चन्द्र देह, यह मात दस भुजा वाली है दुःख कष्ट हर साहस भरती, भक्तों पर कृपा निराली है | चन्द्रघण्टा