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मेरी कलम को स्याही का नशा क्या चढ़ा, कि अब अल्फाज क

मेरी कलम को स्याही का नशा क्या चढ़ा,
कि अब अल्फाज का तेवर ही बदल लिया,
सभी विषयों को बराबर लेकर चलती थी,
आज सब शायराना अल्फ़ाज़ में लिख दिया,
एक से बढ़कर एक नज़्मों और गीतों को सजा रही हैं,
लगता हैं इस पर भी इश्क़-ए-जुनून चढ़ गया,
मस्तमगन हो अपनी ही धुन में बह रही हैं,
कमाल तो यह हुआ कि कोरा कागद रंगीन कर दिया।
 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏

💫Collab with रचना का सार..📖

🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  को  प्रतियोगिता:-43 में स्वागत करता है..🙏🙏
*आप सभी 4-6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।

💫 प्रतियोगिता ¥43:- शायराना अल्फ़ाज़
मेरी कलम को स्याही का नशा क्या चढ़ा,
कि अब अल्फाज का तेवर ही बदल लिया,
सभी विषयों को बराबर लेकर चलती थी,
आज सब शायराना अल्फ़ाज़ में लिख दिया,
एक से बढ़कर एक नज़्मों और गीतों को सजा रही हैं,
लगता हैं इस पर भी इश्क़-ए-जुनून चढ़ गया,
मस्तमगन हो अपनी ही धुन में बह रही हैं,
कमाल तो यह हुआ कि कोरा कागद रंगीन कर दिया।
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