मेरे लहजे में जी हुजूर न था, इसके अलावा साहब,मेरा कोई कसूर न था। अगर पल भर को भी मैं, बेजमीर हो जाता, यकीन मानिए, कब का वजीर हो जाता।। #मैं #लहजा #वजीर #हुजूर