सज़ा दूं.. गलियों , मोहल्लों, बगियों को.. या आंखें नम कर बैठ जाऊं, बड़ा ही अजीब सा मोहब्बत का ये दिन आया है.. धरा के कण कण में आज ये शोक समाया है, भूले से भी नहीं भूलते हम ये दिन.. उन आशिकों ने सरहद पर खून बहाया है, कर लूं मैं इश्क़ देश से.. या हो जाऊं खफा मैं अपने महबूब से, मेंहदी की लाली गई नहीं थी.. और वो मेरे बदन से हर एक रंग ले गया, कैसे सोई होगी वो महबूबा.. जिसका महबूब देश के लिए शहीद हो गया, लाए थे चुन चुन बगिया से एक एक फूल कि कली.. हमें क्या पता कि हमारा चमन ही उजड़ेगा, कहां थी हमें खबर कि ऐ वतन.. मेरा सनम ही तुझपे शहीद होगा, लुटा दिया है अपना सर्वस्व.. अब ना कुछ शिकायत करना, ऐ मेरे वतन के लोगों.. मेरे तिरंगे कि हिफाजत करना!!— % & #14febblackdayforindia