उलझ गई उलझन सुलझाते सुलझाते, भड़क गई ज्वाला सुलगाते सुलगाते, ये युवा पीढ़ी क्या रखती है सोच, लटक रहे फांसी समझाते समझाते ( पवन वैभव दुबे ) वैभव की कलम से