वो जिसने तुझको भी नायब लिखा है,, झूठ ही सही पानी को शराब लिखा है।। जिसने जरा सा भी मुह यहां खोला है,, लोगो ने उसी को तो खराब लिखा है।। एक लिफाफे में चंद आंसू मिले हमको, उसने ये मेरे खत का जवाब लिखा है।। जहा से जी चाहे पढ़ लेना मेरे शेरो को, तुम्हे तो हर दफा ही नायब लिखा है।। कितना तड़पे है चार दीवारों से पूछना,, मैने सब पर नाखुनो से हिसाब लिखा है।। मैं तो तुम्हे फूल भी नही लिख पाया,, और लोगो ने तुम्हे शबाब लिखा है।। हीर रांझा लैला मजनू श्री फराह होंगे,, उसे बेगम कहा खुद को नवाब लिखा है।। लोगो ने उसी को तो खराब.......।।। #Sarabjit Zikr ek @√ #Heart