गीला सूरज कभी देखा है गीला सा सूरज, कुछ-कुछ भीगा-भीगा सा सूरज, तेरी जुदाई के गम में है डूबा, मेरी आशनाई का बुझता सूरज, तूने भी तो टाँग दिया था, खूँटी पर प्यार का रिसता सूरज, अंधेरी सुबह में झाँक रहा है, फटी वफ़ा से दुखी मन सूरज, आजा आकर वापस ले जा, अपनी यादों का सिसकता सूरज, दहलीज़ पर मैंने छोड़ दिया है, तेरा-मेरा अधजला सा सूरज । Meenakshi Sethi, wings of poetry #गीला सूरज #wingsofpoetry #yqhindi #yqhindipoetry