जब कभी भी दिखाई देती है तुम्हारे माथे पर चिंता की लकीरें दिल बेचैन हो उठता है मेरा अक्सर जब देखता हूं तुम्हें मैं अपनी वेदनाओ को छुपाते तुम्हारी खोखली हसी के मध्य सच कहूं तो मेरा रोम रोम पीड़ा में डूब जाता हैं जब कभी तुम उदास हताश बैठी होती हो मन करता है जाकर तुम्हें लगा लू अपने सीने से तुम्हारे सारे दुःख दर्द को अपना लू या दूर कर दू... ©Ankur tiwari #Widows