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मेरा कंजूस दोस्त कंजूसी नहीं मक्खीचूस की भी बड़ी



मेरा कंजूस दोस्त कंजूसी नहीं मक्खीचूस की भी बड़ी मिसाल है। 
कंजूसी भी उसकी कंजूसी को देखकर बहुत निहाल और बेहाल है।

बातें करता है बड़ी बड़ी पर कर नहीं सकता एक चवन्नी भी ढीली।
फैशन रहता है हरदम सर पर सवार न जाने कितना बाकी है उधार।

दिखावा इतना है मानो जैसे नहीं पीता कभी वोडका या रम से कम।
लेकिन कंजूस तो इतना कि देसी ठर्रा पीने का भी नहीं है उसमें दम।

फ्री की चाय पीने में फ्री का पान खाने में कभी नहीं आती है कोई शरम।
दूसरों के लिए छोड़ो खुद के खाने के लिए भी कहता है छूट्टे पैसे है कम। 

-"Ek Soch"



 🎀 Challenge-277 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है।

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 8 पंक्तियों में अपनी हास्य रस रचना लिखिए।


मेरा कंजूस दोस्त कंजूसी नहीं मक्खीचूस की भी बड़ी मिसाल है। 
कंजूसी भी उसकी कंजूसी को देखकर बहुत निहाल और बेहाल है।

बातें करता है बड़ी बड़ी पर कर नहीं सकता एक चवन्नी भी ढीली।
फैशन रहता है हरदम सर पर सवार न जाने कितना बाकी है उधार।

दिखावा इतना है मानो जैसे नहीं पीता कभी वोडका या रम से कम।
लेकिन कंजूस तो इतना कि देसी ठर्रा पीने का भी नहीं है उसमें दम।

फ्री की चाय पीने में फ्री का पान खाने में कभी नहीं आती है कोई शरम।
दूसरों के लिए छोड़ो खुद के खाने के लिए भी कहता है छूट्टे पैसे है कम। 

-"Ek Soch"



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🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है।

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 8 पंक्तियों में अपनी हास्य रस रचना लिखिए।