जैसे लोहा बिना तपाये नही ढल सकता, सोना बिना गलाये नही सँवर सकता, हीरा बिना छेनी हथोड़ी की मार से नही निखर सकता, वैसे ही हम भी बिना चुनोतियों को स्वीकार किये बिना कैसे बढ़ सकते हैं, खुद के जीवन का अनन्त मोह त्यागना पड़ेगा, हर कदम एक नई चुनोती को स्वीकार करना पड़ेगा। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को प्रतियोगिता:-38 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 4-6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा। 💫 प्रतियोगिता ¥38:- हर कदम एक नई चुनौती