अफताबी किरणों ने सितारों की दुआ कबूल की मेरे नाम की जमीन आशिकों के जहां में की सितारों ने मिल आबशार का आशियाना बनाया सब ने उसे वहां था बुलाया न जाने कब से था इंतजार में वो सितारों का शहर भी महबूब के इंतजार में छुड़ाया शशांक आबशार...... Part 3 ©Shashank Prashar #poemcontinue part 3 #letter