भोर को जैसे सांझ का, रात को जैसे सुबह का, चाँद को जैसे तारों का, चकोर को जैसे चाँद का है, ज़माना चाहे कितना भी पूछे "अब किसका इंतज़ार है" मैं यही कहूँगी आज भी अपनी आखरी सांस तक, सिर्फ उसका ही इंतज़ार है... अब किसका इंतज़ार है... #किसकाइंतज़ारहै #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi