ए खुदा जिससे मैं प्यार करता हूं उसे मैं खोना नहीं चाहता लेकिन जो मुझे प्यार करती है उसे भी देख रोता मैं रोना नहीं चाहता हां मैं मानता हूं जो मैं गुनाह कर रहा हूं वह माफी के लायक नहीं लेकिन उनके लिए ए खुदा यह गुनाह मुझे करने दे क्योंकि मैं जीना तो चाहता हूं लेकिन घुट-घुट कर मरना नहीं चाहता लोग कहेंगे मुझे बेवफा हां मैं मानता हूं इन लोगों के चेहरे भी कहां छिपे हैं इन्हें भी मैं जानता हूं मुझे माफ करना ए खुदा तेरे दरमियां कबूल कर रहा हूं अपने सारे गुनाह क्योंकि मैं सबको खुश रखना चाहता हूं किसी का दिल तोड़ना नहीं चाहता ©dkjaroriya #आवारादिल Jajbaat-e-Khwahish(जज्बात) Hamid Ali dhyan mira