"बदरा"... ©श्वेतनिशा सिंह🌸 (अनुशिर्षक में पढ़ें) "बदरा"... शाम सुहानी बदरा लाए, बूंदों ने भी शोर मचाए... पंछी चहककर घर को लौटे, हवा बहती मद्धम-मद्धम... मन को सुकून पहुँचाए,