मन में थे अन्तर्द्वन्द बहुत अधरों पे मोहक मुस्कान रही, कभी चक्रधर,कभी गिरधर और कभी सखा सुदामा की आन रही। कैसे जी लेते हो किरदार विविध कैसे तुम मुस्काते हो ? हे सखे तूँ है अनुपम,अद्भुत दिल रोता है तुम हँसतें जाते हो। #शून्य #मेरा_जिगरी #तुम्हारेलिए #दोस्तीहमारी #दोस्त_हो_तुम #अन्तर्द्वन्द #अनमोल_रिश्ता #ऐसेहीहँसतेरहना ✍🏼 मेरे जिगरी दोस्त के लिये । शुक्रिया मेरे यारा ।🙏🏼🙏🏼🙏🏼