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सर्दी के मौसम में ये कैसी नफरतो की लू चली है खुद क

सर्दी के मौसम में ये कैसी
नफरतो की लू चली है
खुद के वजूद से हि नफरत हो चली है
मौत ने आज मेरी बाह पकड़ हि ली
जिन्दगी मुझसे रूठ चली है
वो है क्या आखिर जो मैं कुछ समझू
जूठे रिश्ते की डोर टूट चली है
भावनाओ के कमजोर मांझे से
प्यार की पतंग टूट चली है
मेरे कदम तेरी तरफ अब ना जायेगे
जिस्म की हर आदत छूट चली है 
अब तेरा कोई कर्ज़ मुझपे बाकी नही
सांसो की लय अब टूट चली है #नफ़रतों की लू
सर्दी के मौसम में ये कैसी
नफरतो की लू चली है
खुद के वजूद से हि नफरत हो चली है
मौत ने आज मेरी बाह पकड़ हि ली
जिन्दगी मुझसे रूठ चली है
वो है क्या आखिर जो मैं कुछ समझू
जूठे रिश्ते की डोर टूट चली है
भावनाओ के कमजोर मांझे से
प्यार की पतंग टूट चली है
मेरे कदम तेरी तरफ अब ना जायेगे
जिस्म की हर आदत छूट चली है 
अब तेरा कोई कर्ज़ मुझपे बाकी नही
सांसो की लय अब टूट चली है #नफ़रतों की लू