कैसे करूँ तुलना तुम्हारी,जमीं और आसमां से, जब तुम खुद हो, नूर हमारे इस जहान के । चुभते हैं कांटें जब प्रभा अंधेरी गलियारों से गुजरे, क्यों अचानक से दमकती हो आशा की किरण बनके।। लिख दूँ, तुम्हारी सुन्दर काया की प्रशंसा गजल बनके, पर कलम चलती नहीं बेसहारों,मासूमों के अश्क़ देख के। ये चीख,दर्द और मासूमों पर अत्याचार को कैसे छोड़ दूँ, बस एक तेरे हुस्न का एक तलबगार बनकर के ।। हाँ,सच है,मैं तुम्हें अपना मानता हूं,रब से तुम्हें ही मांगता हूँ, पर झूठ को सच भी तो नहीं लिख सकता आशिक बनके।। ✍🏻कुंदन पूर्णिया (बिहार) ३१.०८.१९ #follow and read #moresuch #such of post #Motivational #nojotopower #satyaprem #amandeep #ArunRena#NojotoVideo #shivisharma#najoto