" जाने क्यों उम्मीद करते हैं हम खुद को इन्सान कहलाए जाने का " है धरती माँ अगर माँ हमारी, तो है किसान, वो ज़रिया उसका प्यार पहुंचाने का.. न समझ सके हम, जो कीमत उसके जीवन की, क्या साबित कर सके मकसद हम, खुद को इन्सान कहलाए जाने का..