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दवात पड़ी सिरहाने, कागज़ दिखे है कोरा। कलम है दहली

दवात पड़ी सिरहाने,
कागज़ दिखे है कोरा।
कलम है दहलीज़ पे,
लफ्ज़ों ने रिश्ता छोड़ा।।

पंक्ति की संवेदना,
मर्म लेती है मोरा।
उकेर भी दूं पन्नों पर,
स्मरण आए गर थोड़ा।।

©गुस्ताख़शब्द
  लेखन की बयार में,
सोच ही आधार हैं।
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लेखन की बयार में, सोच ही आधार हैं। #Likho #मर्म #Lafz #गुस्ताख़शब्द #korakaghaz #लेखन #कलम #स्मरण #Good #शायरी

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