खुबसूरत मंजिल की ख्वाहिश है मुझे दर दर भटकता रहा सपने के वास्ते मंजिलें मिलती गई,सपनें बदलते गए पुरानी असीम यादें बढ़ती चली गई घर परिवार से दूर होता चला गया प्यार भरा बचपन खोता चला गया शांति न मिली मेरे भटकती रूह को फीकी लगने लगी ब्यस्त अस्तित्व को हाथ पकड़कर चलना सिखाना सभी के साथ बैठ कई बार खा लेना ओझल मंजिल ने संसार बदल डाला खोती जिंदगी ने खिलौना बना डाला रिश्तों में स्वार्थ की चादर फैल गई सुवासित प्यार की रूख़े बदल गई सहवासी भी उद्देश्य में विलग हो गए तन्हाई में मंजिल ओर बढ़ते चले गए । ©𝙎𝙪𝙟𝙚𝙚𝙩 𝙎𝙪𝙢𝙖𝙣(PREM) #love #friendship #nojoto #sujeet #sujeetjisuman #navodayan #jnvian #eveningtea