चेहरे की हंसी तो हर कोई देख पाता है आंखो की नमी हर कोई कहां पढ पाता है, लपेटकर लहरो को बांहो मे अपनी, लपेटकर... लहरो को बांहो मे अपनी क्यूं समंदर धरती से मिलने आता है... के आंखो की नमी हर कोई कंहा पढ पाता है..!! अब थोडा सा गौर किजिए... कुछ तो ख्वाहिश रही होगी बारिश की बूंदो की भी कि.....कुछ तो ख्वाहिश रही होगी बारिश की बूंदो की भी, पहुंच कर ऊंचाई पर इतनी यूं कौन धरती पर आता है,, आंखो की नमी हर कोई कहां पढ पाता है, झूम उठते हो तुम समझकर सावन जिसे, झूम उठते हो... तुम समझकर सावन जिसे... वो खुदा भी चुपके से आंसू बहाता है... कि चेहरे की हंसी तो हर कोई देख पाता है, आंखो की नमी हर कोई कहां पढ पाता है...!! ©Atul tapparwal #_my first poem on nojoto Guys kaisi rhi..😁Roy MeghA.....♥♥ Monika rathee vks Siyag sheetal pandya मेरे शब्द ..SShikha.. Shivangi Bist