हृदय बसा अँधियारे में, बंद चार दिवारी में। ओड़ तन असत्य की चादर, सत्य छिपा ऊजाले में। खूब प्रचलित मनचलों कि करनी, दोश खुद पर लिया जमाने ने। प्रेम आधुनिक धन की सीडी, और योग्य देह प्यास बुझाने में। सहम गई श्री राधा रानी, देख कैसे प्रेम नज़ारे हैं। लूट इज़्ज़त प्रेम की, सब काम दिवाने हैं। हम तो कान्हा तेरे ही, और किस्से राधा के प्यारे हैं। प्रेम सच्चा त्याग ही, प्रेम बड़ा खजाने से। दिवानी मीरा श्याम की, पिये विष प्याले थे। बात सुन तन्हा शायर की, मूर्ख कहा ज़माने ने। मूर्ख कहा ज़माने ने.........! ©Ek tannha shayar #प्रेम_आधुनिक #My_filings_my_words #एक_तन्हा_शायर