तड़प तड़प कर दिन गुजरे बेचैन हुई निंदिया रातों में तन्हाई में अक्सर जिसका रहता ज़िक्र मेरी बातों में ! बिजली बनकर कड़क रही जो ख़्वाहिश फ़िर हो आई दिल बनकर बादल गरजे और प्रेम घटा घिर आई ! 💕☕☕😊 #पाठकपुराण #येरंगचाहतोंके साथ #सुभसंध्या 💕😊 चाहो तो collab कर सकते हो स्वागत है । : जब चले पवन पुरवाई तो ये मौसम ले अंगड़ाई दिल बनकर बादल गरजे और प्रेम घटा घिर आई !