***** ग़ज़ल ***** झुके-झुके यह नयन मेरे दिल के आरपार चलें उड़ा के होश मेरे यह दिल को तार-तार चलें छिप के पलकों में तेरी यूँ तो कई राज रहें मिलती है जब यह नज़र तो दिल की यह बात कहें आँखों की इस चिलमन को तुम यूँ सजाए बैठे हो हसीं कौन सी मैं ग़ज़ल कहूँ जो तेरे हुस्न को बयां यूँ करे इन बन्द झरोखों में है क्या ज़रा दिखा तो सही शाम की ग़ज़ल है या निशा का कोई यहाँ चाँद रहे उठा के एक बार तुम नज़रें मिला तो सही नज़र ना कहीं लगे जो तुम्हें हम नज़रें यूँ उतार चलें #anupamgazals #anupamsongs #yqsunilmadaan #yqbaba #yqdidi #yqlove #yqshayari #yqpoetry