घंटों बतिया लेती हूं.. कभी कर गुस्सा, कभी मनमानी, कभी प्रेम, जतला देती हूं.. बिन कोई डोर, बिन छोर, बिन शोर, क़िस्से सुना देती हूं.. चलती रही है ,चलती रहेगी.. अनछुई,अनदेखी अनुरक्ति.. #अनछुई #अनदेखी #अनुरक्ति #प्रेम #योरकोट #तूलिकाकेरंगं