चाहे सड़क के बायीं तरफ अपने कंधों पे बस्ता लटकाये अपनी माँ के इंतजार में खड़ी एक लड़की ललचाई आँखों से सामने वाले ठेले की तरफ देखती या फ़िर दायीं तरफ वो ठेला सँभालने वाली लड़की आँखें फाड़ फाड़ कर उस बस्ते वाली लड़की की ओर देखती, दोनों ही सूरतों में बात कुछ अलग कुछ एक सी होतीं। दोनों ही अपना मन मसोस कर रह जातीं। "डॉक्टर ने मना किया है ना तुझे, फ़िर भी जब देखो तब बस बर्फ़ के गोले खाने की ज़िद! जानती है ना, हाईजीनिक नहीं होता ये सब।" "जानती है ना तेरी माँ इतना नहीं कमाती। उस पर से बैठ कर खाने मुँह हज़ार। लेकिन जब देखो तब वही एक रट! इस्कूल इस्कूल इस्कूल..." #YQdidi #कहानी #बर्फगोला #बर्फ़गोला #स्कूल #बस्ता #ठेला