चाइना की मक्कारी चाइना की मक्कारी देख रही है दुनिया सारी, मानवता का दुश्मन, सीमाओं का अतिक्रमणकारी। पहले वायरस फैलाकर लाशो की ढेर लगा दी, अब सीमा पर चुपके से अपनी फौज बढा दी। लद्दाख पर कब्जा करने की ख्याली पुलाव पका ली, भारत के बीरों ने अपने जौहर से अरमानों पर फेरी पानी। 1962 भूल जा, ये भारत की सेना है 2020वाली, एक इंच ना छोडेंगे ,करले कितनी भी तू मनवाली । डोकलाम तू भूल गया क्या? हमारे बीरो ने कैसे हेकड़ी थी निकाली, माना तेरे पास शस्त्र बहुत हैं, पर बीरों से है खाली। जिस दिन हम अपनी पर आए, याद करा देंगें नानी, देश पर मर मिटना, भारतीय बीरों की आदत है पुरानी । शहीद जसवंत सिंह को याद कर जिन्होंने अकेले ही 300 सैनिकों की जान ले डाली, बीरों से भरा है देश मेरा, यहाँ तेरी दाल नहीं गलने वाली। अब भी समय है वापस हो जा, मान ले बात हमारी, वरना तू पछताएगा, कहाँ भवरों के छत्ते में हाथ डाली। शांति के पक्षधर है हम ,पर युद्ध में भी महारत हमारी, सौ- सौ चीनीयों पर एक- एक भारतीय ही पड़ेगे भारी।, देश पर मर मिटने की कला में हम भारतीय का नहीं कोई सानी, देश पर प्राण न्योछावर करने की रुत फिर जाने कब आनी। ** नवीन कुमार पाठक ** #चाइना की मक्कारी