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मोहब्बत का उसूल हमको समझ नहीं आता। कभी कुछ तो कहीं

मोहब्बत का उसूल हमको समझ नहीं आता।
कभी कुछ तो कहीं कुछ आड़े आ ही  जाता।

मज़हब एक हो तो जातियों की  भर-मार है।
जाति एक हो तो सामने खाप भी  तैयार  है।

खाप एक ही हो तो भी यह मुमक़िन नही है।
वहाँ  चार गोत्र बचाने का भार आ ही जाता।

कहाँ से आए हो तुम और कहाँ जा  रहे  हो!
क्या कहें यारो बारीकी से सब देखा जाता है।

दर्द भी तुम दवा भी तुम हम तो यही  कहेंगे!
पंछी' दीवाने दिल का हाल कहा नहीं जाता। ♥️ Challenge-901 #collabwithकोराकाग़ज़

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♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
मोहब्बत का उसूल हमको समझ नहीं आता।
कभी कुछ तो कहीं कुछ आड़े आ ही  जाता।

मज़हब एक हो तो जातियों की  भर-मार है।
जाति एक हो तो सामने खाप भी  तैयार  है।

खाप एक ही हो तो भी यह मुमक़िन नही है।
वहाँ  चार गोत्र बचाने का भार आ ही जाता।

कहाँ से आए हो तुम और कहाँ जा  रहे  हो!
क्या कहें यारो बारीकी से सब देखा जाता है।

दर्द भी तुम दवा भी तुम हम तो यही  कहेंगे!
पंछी' दीवाने दिल का हाल कहा नहीं जाता। ♥️ Challenge-901 #collabwithकोराकाग़ज़

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