हवा का एक झोंका आना बाकी है। अभी तो उसका मुस्कुराना बाकी है। धूप बरस के ठंडी होने को आई है। अभी चांद का पिघलना बाकी है। हारे है तो क्या हार मानी थोड़े ही है। अभी अपना वक़्त बदलना बाकी है। उसकी नज़र से रोज़ गुज़रते है हम अभी उस नज़र में ठहरना बाकी है। अब नई मोहब्बत में नही उलझना है। अभी पुराने दर्द से निकलना बाकी है। #मुस्कुराना_बाकी_है