दिसंबर की एक,रात थी और फोन पे घंटो,बात थी किसी और के,प्यार,की खातिर उसने मुझको,ठुकराया था वो रात बड़ी थी,सर्द,मैंने जब उसका ख़त,जलाया था ये आँखे रोई,और जी मचला ख्वाबों का गला,दबाया था फिर दिल ने समझाया,मुझको बेवफा से,दिल को,लगाया था #दिसम्बर #december #kaarigar_kalam_ka