गुज़र जाते है खूबसूरत लम्हें यूं ही मुसाफ़िरों की तरह... और यादें वहीं खड़ी रहती है बेजान से रास्तों की तरह.... हिंदी सीखते-सीखते गणित शायद कमजोर ही रही मेरी तुम सजती-संवरती घंटों-भर मेरी तारीफ़ सैकण्डों की तरह.. अल्फाज़ों के दीवाने जहां में धन देकर महफ़िल सजती है परन्तु मेरी खामोशियों को भी समझा अल्फाज़ों की तरह.. तुमसे प्रेम रुहानी-सा है रूह से नादानियों को नजरंदाज किया हे जिंदगी तेरा एहसानमंद हूँ मैं प्रयास प्रेम लिखूं प्रेम की तरह.. ©Anil Ray 🖤🖤🔥 सपने मिट्टी में मिल गये 🔥🖤🖤 "माँ! बहिन की शादी को थोड़ा आगे बढ़ा दो, अभी पैसों का इंतज़ाम नहीं हो पाएगा, मैं किसी तरह यहाँ का सामान बेचकर पापा के ऑपरेशन के पैसे भेजता हूँ।" बेटे ने फोन पर कहा । "ऐसा क्या हो गया सुमित बेटा ?" माँ ने घबराते हुए पूछा। "बहुत कुछ बदल गया माँ । मेरी नौकरी चली गई।"