दिक्कत इस बात की है कुछ समझने की कोशिश नासाज है क्यूँ तमन्ना अब नही रही आरजू जो थी कही खो गई बेजार सी है अब हर शाम बिन बुलाए आये गम साथ बेतुकी सी बातें है बैचैनी सी राहे हैं खत्म अब हर उलझन है बिन उलझन के हल है कुछ टूटी पंक्तियाँ है कुछ हाल -ऐ - दिल है जोड़ ही नहीं पा रहे दोनों को बस यही दिक्कत की बात है। ©Priya Singh #ProblemHai