सुख में दु:ख में हर मुश्किल में,हंँसकर साथ निभाता है। खड़ी दुपहरी में जो सर पर, बनकर छांँव बचाता है। अवगुण को जो छांँट-छांँट कर मन से दूर भगा डाले, दिल की बात करे जो खुलकर, दोस्त वही कहलाता है। अरुण शुक्ल अर्जुन प्रयागराज (पूर्णत: मौलिक स्वरचित एवं सर्वाधिकार सुरक्षित) #dost #hi#fi #Yaari