मैं धूप तो तुम छाओ प्रिये , मेरे शब्दो का आधार प्रिये। मैं नाव तो तुम माँझी हो , मेरी नौका की पतवार प्रिये। मैं रीति तो तुम प्रीति हो , तुम जीवन का श्रंगार प्रिये । तुम मृदुल अनहद मेरे कर्णो की , पायल की हो झंकार प्रिये । तुम मृगनयनी सी सुंदर हो , नैनो की हो तुम प्यास प्रिये । मेरी पल पल मरती इच्छा सी ,तुम तीव्र गति की स्वांस प्रिये । मैं दर दर भटकता राही हूँ ,मेरी तृष्णा का उल्लास प्रिये । मैं धूप तो तुम छाओ प्रिये.......... #विचार #प्रेम #आत्मसमर्पण