आमने-सामने क्यों न अब आमने-सामने से बात हो जाये। इसी बहाने एक-दूसरे को जानने की शुरुआत हो जाये।। तो चलो ढलती हुई शाम के साथ एक मुलाकात हो जाये। शायद इसी बहाने मेरे हाँथ में तेरा हाँथ हो जाये।। शाम की कॉफी और रात का खाना क्यों न एक साथ हो जाये। इस बेनाम रिश्ते का क्यों न एक नाम बनायें।। बदलते वक़्त की कसौटी पर एक-दूसरे को आजमायें। कभी खानी न पड़े झूठी कसमे अभी से ऐसा विश्वास बनायें।। क्यों न अब आमने-सामने से बात हो जाये। इसी बहाने एक-दूसरे को जानने की शुरुआत हो जाये।। #AamneSamne आमने-सामने