कुछ भी अकारण नही होता इस ब्रह्मांड में। इस वहम में भी प्रजनन का बीज होता है छुपा। प्रसव की पीड़ा लिए पैदा हो जाती हैं कुछ कविताएँ कुछ हँसती, खेलती हैं कुछ छुप या मर जाती हैं.... किसी के पढ़े जाने के डर से... (पूरी कविता अनुशीर्षक में) वहमी हूँ मैं हाँ, वहम पाल रखा है, तुम्हारे होने का होता है एहसास तुम्हारे शब्दों का तुम्हारे छुअन का जो कहा नहीं तुमने उन बातों को सुनने का